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Sunday, February 6, 2011

यह वीकली अखबार तो बड़ा क्रांतिकारी निकला!



Friday, 07 January 2011 16:24 यशवंत सिंह // भड़ास4मीडिया


एक वीकली अखबार है, 'टाइम्स ऑफ क्राइम' नाम से। इसने जाने कहां से स्विस बैंक में जमा भारतीय नेताओं की रकम का पता लगा लिया है और नाम सहित रकम का खुलासा कर दिया है. इस बारे में एक मेल भड़ास4मीडिया के पास आई है. मेल भेजने वाले की आईडी

prashantshrivastava.007@gmail.com है. साथ में एक लेख और दो अटैचमेंट है. एक अटैचमेंट में प्रकाशित खबर है तो दूसरे में वीकली न्यूजपेपर का मुखपत्र. प्रशांत श्रीवास्तव द्वारा भोपाल डेटलाइन से लिखित लेख में जो कुछ प्रमुख बात है, वो इस प्रकार है-
''कालेधन को भारत वापस लाने के लिए समय-समय पर नेताओं ने अपने-अपने तर्क दिए. सरकारों ने ही पहल कर जनता के सामने यह संदेश दिया कि हम स्वच्छ साफ छवि के हैं. कई नेताओं ने तो कालेधन पर अपना चुनावी एजेंडा तक बना डाला. परंतु क्या मालूम था जिसे वे चुनावी एजेंडा बना रहे हैं वही आगे चलकर उनकी गले की फांस बन जाएगा. सरकार तो आज तक कालेधन को वापस लाने की बात कही करती रही लेकिन एक संस्था ने भारत के राजनेताओं द्वारा स्विस बैंक में लगभग 70 हजार करोड़ रुपये जमा कराए जाने की सूची उजागर की है जिसमें कांग्रेस-भाजपा के अलावा तमाम राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के नामों और उनके धन की जानकारी दी गई है. इस सूची के आते ही तमाम पार्टियों में हड़कंप मच गया है और उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर स्विस बैंक की गोपनीय जानकारी आखिरकार बाहर कैसे आ गई. यह खबर साप्ताहिक टाइम्स ऑफ क्राइम समाचार पत्र ने प्रकाशित की है। यह खबर http://tocnewsindia.blogspot.com नामक वेबसाइट पर भी है, जो इसी वीकली न्यूजपेपर की साइट है.। चलिए हम आपको बात देते हैं कि यह कारनामा किया है गुजरात के अंकलेश्वर के रहने वाले एके बकानी ने. इनके माध्यम के जारी सूची में तमाम नेताओं के धन का विवरण उपलब्ध कराया गया है. इस सूची को जारी करने वाली संस्था हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना (इंडिया) का दावा है कि ये जानकारी पूरी तरह तथ्यात्मक है और स्विस बैंक के सूत्रों के हवाले से दी गई है. संस्था का कार्यालय उत्तर प्रदेश के गोड़ा जिले के बकासिया गांव में स्थित है. सूची में 152 लोगों के नाम एवं कोड सहित संपत्ति का पूर्ण विवरण दिया गया है. इस सूची में कांग्रेस-भाजपा के दिग्गज नेताओं के नाम उजागर हुए हैं. सूची में सबसे पहला नाम देश की विख्यात नेत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का है, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने स्विटजर लैंड में करीबन दस क्विंटल सोना, सौ किलो चांदी, और भारत में भुगतान किए जाने वाले दो करोड़ रुपए जमा कराए थे, उनके खाते का कोड क्रमांक नहीं दिया गया है. जबकि उनके पुत्र संजय गांधी के खाते को एसजीएलएफ ओ स्विटजरलैंड नाम से दर्शाया गया है, इस खाते में एक हजार एक सौ ग्यारह किलो सोना और छह सौ बावन किलो हीरे और भारत में भुगतान किए जाने वाले पचास लाख रुपए जमा कराए गए थे. इसी तरह राजीव गांधी का खाता क्रमांक एलसीटीएस सात सौ किलो सोना, 125 किलो चांदी, 352 किलो हीरे और भारत में भुगतान किए जाने वाले 352 लाख रुपए रखकर संचालित किया जाता है. संस्था के सूत्र बताते हैं कि इन खातों के संचालन के लिए स्विस बैंकों की ओर से विशेष घड़िय़ां और अंगूठियां जारी की जाती है. इन्हें लेकर जाने वाला व्यक्ति इन खातों को संचालित कर सकता है. यदि किसी खाता धारक का निधन भी हो जाता है तो उसके परिजन इस विशेष प्रतीक के माध्यम से उस खाते को संचालित कर सकते हैं. यदि कोई व्यक्ति इस प्रतीक को चुरा भी लेता है तो वह भी इस खाते का संचालन कर सकता है. स्विस बैंकों में गुप्त धन रखने के लालची ऐसा नहीं कि सिर्फ कांग्रेसी हैं इन नामों की सूची में भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी है. पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान श्री आडवाणी ने स्विस बैंक में जमा धन की वापसी के लिए बाकायदा प्रचार अभियान छेडा था, लेकिन सूची के मुताबिक श्री आडवाणी का भी खाता स्विस बैंक से मौजूद है. एनएसओएल नाम से खोले गए इस खाते में 552 किलो सोना, 152 किलो हीरे, और भारत में भुगतान किए जाने वाले साठ लाख रुपए शामिल हैं. भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने स्विस कोड क्रमांक एपीपीपीएन के माध्यम से कथित तौर पर दो सौ दस किलो सोना, सत्तर किलो चांदी, सत्तर किलो हीरे और भारत में घर पर दिए जाने वाले छिहत्तर लाख दस हजार रुपए जमा कराए हैं. इसी तरह मप्र नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने स्विस बैंक कोड क्रमांक एसएनकेवी के माध्यम से 79 किलो 900 ग्राम सोना, और 119 करोड़ दस लाख रुपए भारत में भुगतान की जाने वाली मुद्रा जमा कराई है. कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, कोड क्र. वायजीकेएस माध्यम से 112 किलो सोना, 18 किलो हीरे, चार करोड़ रुपए, कमला नाथ कोड क्र. जेओवायएएन के माध्यम से 310 किलो सोना, 117 किलो चांदी, 120 किलो हीरे, एक करोड़ अड़सठ लाख की राशि जमा कराई गई है.''
तो ये था प्रशांत श्रीवास्तव का आलेख. उन्होंने अपने लेख में कुछ तथ्य और आंकड़े आदि दिए हैं. पर ये आंकड़े, नाम, राशि आदि कितने सच हैं, इसकी भड़ास4मीडिया अपने स्तर पर नहीं कर पाया है. यह खबर हम इसलिए प्रकाशित कर रहे हैं ताकि इस वीकली अखबार में प्रकाशित तथ्यों की पड़ताल की जा सके. जाहिर है, पड़ताल का काम आसान नहीं होगा और जिन-जिन दिग्गजों के नाम प्रकाशित हुए हैं वे अपनी मानहानि के संबंध में दावा भी ठोंक सकते हैं. इतने सारे खतरों के बावजूद अगर इस वीकली ने दावे के साथ इस खबर को प्रकाशित किया है तो एक संभावना यह भी है कि इस अखबार के पास पर्याप्त सुबूत हैं. अगर पर्याप्त सुबूत हैं तो फिर ये खबर अभी तक दबी क्यों हुई है. इसे तो इस साल की सबसे बड़ी खबर बन जाना चाहिए था. सो, शंका ये भी है कि वीकली न्यूजपेपर ने किन्हीं संस्था के दावे पर भरोसा कर खबर का प्रकाशन तो कर दिया लेकिन इस वीकली अखबार का सरकुलेशन कम होने या छोटा अखबार होने के कारण खबर की चर्चा नहीं हो पाई और अखबार के संपादक - प्रकाशक को संभावित मुश्किलों से दो-चार नहीं होना पड़ा है. यह खबर आकाशमेल डाटकाम नामक वेबसाइट पर भी है, इस साइट तक http://www.aakashmail.com/ के जरिए पहुंच सकते हैं।
देखना ये है कि इस वीकली अखबार के क्रांतिकारी कारनामे की खबर प्रकाशित होने के बाद देश की मीडिया, पत्रकार, नेता आदि किस तरह रिएक्ट करते हैं। खुले दिमाग से यह अपील करता है कि इस प्रकरण के बारे में जिसे जितनी जानकारी हो वह कमेंट के माध्यम से नीचे देने की कृपा करे ताकि इस प्रकरण की सच्चाई की छानबीन हो सके. फिलहाल तो खबर पढ़ने के बाद आप भी कह ही देंगे- ये वीकली अखबार तो बड़ा क्रांतिकारी निकला!

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