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Sunday, February 6, 2011

मानवीय कचरे में तब्दील हो रहा है पत्रकार

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प्रदीप सौरभ (सबसे दाएं) प्रदीप सौरभ (सबसे दाएं)
दैनिक हिन्दुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार व उपन्यासकार प्रदीप सौरभ्ा ने कहा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में असहमतियों का अहम स्थान है। असहमतियों को पत्रकारिता में उचित स्थान मिलता था, पर आज पत्रकारिता में असहमतियां गायब हो रही हैं तथा विचारों को लगभग समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। आज बडे संस्थान सहित मीडिया हाउस बडी संख्या में युवाओं को रोजगार दे रहे हैं इन संस्थानों में युवाओं पर कार्य का भारी दबाव होता है तथा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निश्चित समय सीमा भी होती है इस दबाव के बोझतले युवा इतना दब जाता है कि जब उनकी उम्र 40 के पार करती है तबतक उनकी रचनात्मकता समाप्त होने के कगार पर होती है और उनका स्वरूप निर्जीव प्राणी की तरह होता है जिसे मानवीय कचरा कहा जा सकता है। आज न केवल भारत में अपितु पूरे विश्व में मानवीय कचरे की संख्या में इजाफा हो रहा है।
पत्रकार प्रदीप सौरभ मंगलवार को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के जनसंचार विभाग की ओर से आयोजित 'मीडिया संवाद' कार्यक्रम के तहत विशेष व्याख्यान देते हुए बोल रहे थे। व्याख्यान समारोह की अध्यक्षता जनसंचार के विभागाध्यक्ष प्रो.अनिल के.राय 'अंकित' ने की।
प्रदीप सौरभ ने कहा कि अब अखबार एक मुनाफा वाले कारोबार में तब्दील हो चुकी है और समाचार एक उत्पाद का रूप धारण कर चुकी है। दूसरे अर्थों में इसे प्रोडक्ट की संज्ञा दें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। लोकहित से जुडे सवालों के बरक्स बाजार के मुनाफे के गणित अखबारों पर हावी होती जा रही है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन अचानक नहीं हुआ है। आज अखबारों में आम आदमी के सवालों से जुडी खबर या विचार के लिए जगह सिमटती जा रही है। विज्ञापन या अधिक मुनाफे की लालच ने पत्रकारिता में अन्तर्वस्तु और कलेवर को प्रभावित किया है। उन्होंने पत्रकारों का राजनीति से मिलीभगत की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज मीडिया तंत्र का सत्तातंत्र से गठजोड भी बन रहा है। अब अखबारों का धार्मिक अस्मिताओं या इस तरीके की अन्य अस्मिताओं के निर्माण में धडल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। गुजरात इसका ज्वलन्त उदाहरण है, वहां के कुछ अखबारों ने कम्यूनल डिवाइड के द्वारा हिंसा को ज्यादा व्यापक स्वरूप प्रदान किया। वैकल्पिक मीडिया पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह भविष्य की मीडिया है, इसमें ब्लॉग्स या सोशल साईट्स की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। हाल के दिनों में इन माध्यमों के द्वारा जागरूकता और लोकहित से जुडे सवालों को दमदार तरीके से उठाया जा रहा है।
अध्यक्षीय वक्तव्य में जनसंचार के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल के.राय 'अंकित' ने शीत सत्र में छात्रों का स्वागत करते हुए कहा कि यह हर्ष की बात है कि पत्रकारिता के तमाम बदलावों को अक्षरांकन करने वाले जीवट पत्रकार प्रदीप सौरभ्ा के व्याख्यान से सत्रारंभ्ा हो रहा है। पत्रकार सौरभ के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इन्होंने केवल ड्राइंग रूम में बैठकर खबरों या विचारों को नहीं लिखा है, बल्कि दिल्ली से लेकर उत्तर पूर्व तक और गुजरात दंगों के समय देश के विभिन्न हिस्सों में घूमकर शोधपरक व प्रयोजनमूलक खबर या विचार लिखे। इनके पत्रकारीय कौशल का ही परिणाम था कि असहमति के लिए खतम हो रही व्यवस्था में भी अपनी बात को जीवटता से रखा। इनका पत्रकारिता मूल्य सदैव हाशिए के लोगों के लिए समर्पित रहा है। संचालन जनसंचार के छात्र अनुज शुक्ल ने किया। इस अवसर पर जनसंचार के रीडर डॉ. कृपाशंकर चौबे, असिस्टेंट प्रोफेसर अख्तर आलम सहित विभाग के शोधार्थी व विद्यार्थी बडी संख्या में उपस्थित थे।

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