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Sunday, August 28, 2011

‘‘आइसना’’ पत्रकारिता सम्मान के लिए प्रविष्ठियां आमंत्रित

‘‘आइसना’’ पत्रकारिता सम्मान के लिए प्रविष्ठियां आमंत्रित


आइसना का प्रांतीय सम्मेलन 11 सितंबर २011 को भोपाल में

भोपाल। आल इंडिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन (आइसना) का प्रांतीय सम्मेलन ‘‘संघर्ष 2011’’ एवं ‘‘राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान समारोह’’ 11 सितंबर 2011 को रवीन्द्र भवन को प्रात: 11 बजे भोपाल में आयोजित किया गया है। ‘‘आइसना’’ पत्रकारिता सम्मान हेतु पाँच राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान, ग्यारह राज्य पत्रकारिता सम्मान एवं आठ विशिष्ट पत्रकारिता सम्मान के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की जाती हैं। प्रविष्टियां 29 अगस्त से 05 सितम्बर 2011 के बीच भेजी जा सकती है। सम्मान में स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र प्रदान किया जाएगा।

सम्मान का आधार भ्रष्टाचार एवं पत्रकारिता क्षेत्र में की गई उपलब्धियां रखी गई है। ऐसी रिपोट्र्स/अभियानों की प्रविष्टियां विशिष्ट सम्मान की श्रेणी में शामिल होंगी जिसमें पत्रकारों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी रूप से निर्णायक जंग छेड़ी हो।
‘‘संघर्ष 2011’’ के सम्मान के लिए प्रविष्टियां 05 सितम्बर 2011 तक ई -मेल aisnampindia@gmail.com, timesofcrime@gmail.com पर या आइसना, महासचिव कार्यालय में 23/ टी-7, प्रेस काम्प्लेक्स, भोपाल में प्रेषित की जा सकती हैं। सम्मान और प्रविष्टियों सम्बन्धित विस्तृत जानकारी www।aisnaindia.blogspot.com, www.tocnewsindia.blogspot.com पर उपलब्ध हैं। संबंधित जानकारी के लिए मोबाइल नं. 098932 21036, 83057 03436 पर संपर्क कर सकते है। आइसना के प्रांतीय महासचिव विनय जी. डेविड एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष लोकेश दीक्षित ने संयुक्त विज्ञप्ति में बताया कि स्थानीय रविन्द्र भवन में होने वाले इस कार्यक्रम में देश के चयनित पत्रकारों का सम्मान किया जाएगा।
इस प्रादेशिक कार्यक्रम में म.प्र. के महामहीम राज्यपाल रामनरेश यादव, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संस्कृति एवं जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री नरोत्तम मिश्रा, अजय सिंह राहुल नेता प्रतिपक्ष म. प्र. विधानसभा, सहित गणमान्य नागरिक को आमंत्रित किया गया है।

- : महासचिव कार्यालय : -
आइसना, 23/टी-7, गोयल निकेत, प्रेस काम्पलेक्स, जोन-1, एम.पी.नगर, भोपाल (म.प्र.) ४६२०११
फोन नं. 0755 - 4078525
मोबाइल- 98932 21036, 83057 03436

Friday, July 15, 2011

सूचना का अधिकार


सूचना के अधिकार पर केंद्रित योजना आयोग को विजन फाऊंडेशन द्वारा सौंपे गए दस्तावेज(२००५) के अनुसार-

 
  •  संविधान के अनुच्छेद १९ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा में कहा गया है-भारत के सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति और अभिभाषण की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है।
  • साल १९८२ में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार के कांमकाज से संबंधित सूचनाओं तक पहुंच अभिव्यक्ति और अभिभाषण की स्वतंत्रता के अधिकार का अनिवार्य अंग है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा-सरकारी कामकाज में खुलेपन का विचार सीधे सीधे सरकारी सूचनाओं को जानने के अधिकार से जुड़ा है और इसका संबंध अभिभाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से है जिसकी गारंटी संविधान के अनुच्छेद १९(ए) में दी गई है। इसलिए, सरकार को चाहिए कि वह अपने कामकाज से संबंधित सूचनाओं को सार्वजनिक करने की बात को एक मानक की तरह माने और इस मामले में गोपनीयता का बरताव अपवादस्वरुप वहीं औचित्यपूर्ण है जब जनहित में ऐसा करना हर हाल में जरुरी हो। अदालत मानती है कि सरकारी कामकाज से संबंधित सूचनाओं के बारे में गोपनीयता का बरताव कभी कभी जनहित के लिहाज से जरुरी होता है लेकिन यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि सूचनाओं को सार्वजनिक करना भी जनहित से ही जुड़ा हुआ है।
     .   
  •  इडियन इविडेंस एक्ट,१८७२, की धारा ७६ में वे बातें कहीं गई हैं जिन्हें सूचना के अधिकार का बीज रुप माना जा सकता है। इस धारा के तहत प्रावधान किया गया है कि सरकारी अधिकारी को सरकारी कामकाज के कागजात मांगे जाने पर वैसे व्यक्ति को दिखाने होंगे जिसे इन कागजातों के निरीक्षण का अधिकार दिया गया है।
     .
  •  परंपरागत तौर पर भारत में शासन-तंत्र अपने कामकाज में गोपनीयता का बरताव करता आ रहा है। इसके लिए अंग्रेजो के जमाने में बने ऑफिशियल सिक्रेसी एक्ट का इस्तेमाल किया गया। इस एक्ट को साल १९२३ में लागू किया गया था। आगे चलकर साल १९६७ में इसमें थोड़े संशोधन हुए । इस एक्ट की व्यापक आलोचना हुई है। द सेंट्रल सिविल सर्विस कंडक्ट रुल्स, १९६४ ने ऑफिशियल सिक्रेसी एक्ट को और मजबूती प्रदान की क्योंकि कंडक्ट रुल्स में सरकारी अधिकारियों को किसी आधिकारिक दस्तावेज की सूचना बिना अनुमति के किसी को को बताने या आधिकारिक दस्तावेज को बिना अनुमति के सौंपने की मनाही है।
     
  •   इंडियन इविडेंस एक्ट, १८७२, की धारा १२३ में कहा गया है कि किसी अप्रकाशित दस्तावेज से कोई प्रमाण संबंधित विभाग के प्रधान की अनुमति के बिना हासिल नहीं किया जा सकता और संबंधित विभाग का प्रधान चाहे तो अपने विवेक से अनुमति दे सकता है और चाहे तो नहीं भी दे सकता है।    सरकारी कामकाज के बारे में सूचनाओं की कमी को कुछ और बातों ने बढ़ावा दिया। इसमें एक है साक्षरता की कमी और दूसरी है सूचना के कारगर माध्यम और सूचना के लेन-देन की कारगर प्रक्रियाओं का अभाव। कई इलाकों में दस्तावेज को संजो कर रखने का चलन एक सिरे से गायब है या फिर दस्तावेजों को ऐसे संजोया गया है कि वे दस्तावेज कम और भानुमति का कुनबा ज्यादा लगते हैं। दस्तावेजों के अस्त-व्यस्त रहने पर अधिकारियों के लिए यह कहना आसान हो जाता है कि फाइल गुम हो जाने से सूचना नहीं दी जा सकती। 
  • साल १९९० के दशक के शुरुआती सालों में राजस्थान के ग्रामीण इलाके के लोगों की हक की लड़ाई लड़ते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन ने व्यक्ति के जीवन में सूचना के अधिकार को एक नये ढंग से रेखांकित किया। यह तरीका था-जनसुनवाई का। मजदूर किसान शक्ति संगठन ने अभियान चलाकर मांग की कि सरकारी रिकार्ड को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, सरकारी खर्चे का सोशल ऑडिट(सामाजिक अंकेक्षण) होना चाहिए और जिन लोगों को उनका वाजिब हक नहीं मिला उनके शिकायतों की सुनवाई होनी चाहिए। इस अभियान को समाज के की तबके का समर्थन मिला। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता, नौकरशाह और वकील तक शामिल हुए।  
  • प्रेस काउंसिल ऑव इंडिया ने साल १९९६ में सूचना का अधिकार का पहला कानूनी मसौदा तैयार किया। इस मसौदे में माना गया कि प्रत्येक नागरिक को किसी भी सार्वजनिक निकाय से सूचना मांगने का अधिकार है।ध्यान देने की बात यह है कि यहां सार्वजनिक निकाय शब्द का मतलब सिर्फ सरकारी संस्थान भर नहीं था बल्कि इसमें निजी क्षेत्र के सभी उपक्रम या फिर संविधानएतर प्राधिकरण, कंपनी आदि शामिल हैं।
    इसके बाद सूचना के अधिकार का एक मसौदा कंज्यूमर एजुकेशन रिसर्च काउंसिल(उपभोक्ता शिक्षा अनुसंधान परिषद) ने तैयार किया। यह सूचना पाने की स्वतंत्रता के संबंध में सबसे व्यापक कानूनी मसौदा है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय मानको के अनुकूल कहा गया है कि बाहरी शत्रुओं के छोड़कर देश में हर किसी को हर सूचना पाने का अधिकार है। 
  • आखिरकार साल १९९७ में मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन में संकल्प लिया गया कि केंद्र और प्रांत की सरकारें पारदर्शिता और सूचना के अधिकार को अमली जामा पहनाने के लिए काम करेंगी। इस सम्मेलन के बाद केंद्र सरकार ने इस दिशा में त्वरित कदम उठाने का फैसला किया और माना कि सूचना के अधिकार के बारे में राज्यों के परामर्श से एक विधेयक लाया जाएगा और साल १९९७ के ्ंत तक इंडियन इविडेंस एक्ट और ऑफिशियल सीक्रेसी एक्ट में संशोधन कर दिया जाएगा।  सूचना की स्वतंत्रता से संबंधित केंद्रीय विधेयक के पारित होने से पहले ही कुछ राज्यों ने अपने तईं सूचना की स्वतंत्रता के संबंध में नियम बनाये। इस दिशा में पहला कदम उठाया तमिलनाडु ने(साल १९९७)। इसके बाद गोवा(साल १९९७), राजस्थान(२०००), दिल्ली(२००१)महाराष्ट्र(२००२), असम(२००२),मध्यप्रदेश(२००३) और जम्मू-कश्मीर(२००४) में नियम बने।   
  • सूचना की स्वतंत्रता से संबंधित अधिनियम(द फ्रीडम ऑफ इन्फारमेशन एक्ट) भारत सरकार ने साल २००२ के दिसंबर में पारित किया और इसे साल २००३ के जनवरी में राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। यह कानून पूरे देश पर लागू है लेकिन इस अधिनियम के प्रावधानों को नागरिक समाज ने अपर्याप्त मानकर आलोचना की है।
 

नेशनल कंपेन फॉर पीपल्स राइट टू इन्फारमेशन और आरटीआई एसेसमेंट एंड एनालिसिस ग्रुप सहित अन्य संगठनों द्वारा संयुक्त रुप से करवाये गये एक सर्वेक्षण पर आधारित राइट टू इन्फारमेशन-इंटरिम फाइडिंग्स् ऑव पीपल्स फाइडिंग्स ऑव आरटीआई एसेसमेंट(२००८) नामक दस्तावेज के अनुसार-
http://www.nyayabhoomi.org/rti/downloads/raag_survey.pdf:

 
  • सूचना का अधिकार अधिनियम बुनियादी ढांचे के अभाव से ग्रस्त है। लोक सूचना अधिकारी को अपनी भूमिका के बारे में सही सही जानकारी नहीं है। ग्रामीण भारत में जितने लोक सूचना अधिकारियों का साक्षात्कार लिया गया उसमें लगभग आधे  ने कहा कि हमें पता ही नहीं कि हम लोक सूचना अधिकारी का काम कर रहे हैं। 
  • लोक सूचना अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सूचना देने के बाबत आयी अर्जियों को लेने और मांगी गई सूचना को देने का मुख्य जिम्मा संभालता है। सर्वेक्षण के दौरान  अधिकतर लोकसूचना अधिकारियों का कहना था कि हमें पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिला है, इस विधेयक से संबंधित प्रावधानों की ठीक ठीक जानकारी नहीं है और इस वजह से सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत आयी अर्जियों के निबटान में बाधा आती है।
    सूचना के अधिकार अधिनियम ने लोगों के जीवन पर सकारात्मक असर डाला है। इस मामले में यह अधिनियम अनूठा है। अधिक से अधिक लोग सूचना के अधिकार अधिनियम का प्रयोग करके सूचना मांगने के लिए अर्जियां दे रहे हैं। पहले सरकारी अधिकारी गण ऐसी सूचनाओं को देने से इनकार कर देते थे। 
  • सरकार का रवैया इस मामले में धीमा है। सूचना का अधिकार अधिनियम का उपयोग करके सूचना मांगने के लिए जितनी अर्जियां आती है उनमें से दो तिहाई का जवाब सरकारी अधिकारी देते हैं। सिर्फ एक तिहाई अर्जियों का जवाब  ३० दिन के अंदर मिल पाता है, जैसा कि नियम है।
  • सूचना के अधिकार अधिनियम पर अमल के मामले में सबसे पिछड़ा राज्य मेघालय है। यहां गांव के स्तर पर कोई भी लोक सूचना अधिकारी नहीं है। राज्स्थान इस मामले में सबसे आगे है। यहां ना सिर्फ गांव के स्तर पर लोकसूचना अधिकारी उपलब्ध मिले बल्कि उनका साक्षात्कार भी लिया जा सका। सर्वेक्षण का एक निष्कर्ष यह भी है कि महिलाओं से कहीं ज्यादा पुरुष इस अधिकार का उपयोग कर रहे हैं। ग्रामीण स्तर पर अर्जियां देने वालों में पुरुषों की तादाद बहुत ज्यादा है।
  • महाराष्ट्र में सूचना के अधिकार अधिनियम को जबर्दस्त सफलता मिली है। पिछले तीन सालों में यहां ३ लाख ७० हजार अर्जियां आयीं। सूचना के अधिकार अधिनियम के पक्ष में काम करने वालों का कहना है अर्जियों पर जवाब को रोककर रखने का सरकारी चलन चिन्ता जगाने वाला है।
 

             
सूचना का अधिकार- कुछ अंतर्राष्ट्रीय मानकों की एक बानगी           
 
  • "सूचना की स्वतंत्रता एक बुनियादी मानवाधिकार है..और इन सभी मानवाधिकारों की कसौटी है जिनके प्रति संयुक्त राष्ट्रसंघ प्रतिबद्ध है."
  • संयुक्त राष्ट्रसंघ की आमसभा ने साल १९६६ में नागरिक और राजनीतिक अधिकारों से संबंधित इंटरनेशनल कोवेनेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइटस् को स्वीकार किया। इसमें अभिमत की स्वतंत्रता(फ्री़म ऑव ओपीनियन) की गारंटी दी गई है।
    साल १९९३ में मानवाधिकारों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र संघ के आयोग ने अभिमत और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (फ्री़डम ऑव ओपीनियन एंड एक्सेप्रेसन)  से संबंधित एक विशेष पीठ की स्थापना की। इसे ऑफिस ऑव द यूएन स्पेशल रपॉटियर ऑन फफ्री़डम ऑव ओपीनियन एंड एक्सप्रेसन कहा जाता है। इसकी भूमिकाओं में एक है-अभिमत और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आने वाली बातों के बारे में स्पष्टता कायम करना।
    साल १९८० में राष्ट्रकुल के देशों के विधि मंत्रियों की एक बैठक बारबडोस में हुई। इस बैठक में कहा गया- "शासकीय और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में जनता की भागीदारी सबसे ज्यादा सार्थक तब होती है जब नागरिकों के पास पर्याप्त संख्या में आधिकारिक सूचनाएं होती हैं।".
  • साल १९९९ के मार्च महीने में राष्ट्रकुल के देशों के एक्सपर्ट ग्रुप की एक बैठक लंदन में हुई। इस बैठक में एक प्रस्ताव को मंजूर किया गया। इस प्रस्ताव में जानने के अदिकार और सूचना पाने की स्वतंत्रता को मानवाधिकार मानने के बारे में कई दिशानिर्देश दिये गए।
    साल १९९२ में पर्यावरण और विकास पर केंद्रित रियो उदघोषणा  के सिद्धांत-सूत्र १० में सबसे पहले इस तथ्य की पहचान हुई कि टिकाई विकास के लिए पर्यावरण सहित अन्य विषयों से जुड़ी जो जानकारियां सरकारी अधिकारियों के हाथ में हैं उन्हे सार्वजनिक करना जरुरी है ताकि पर्यावरण के लिहाज से एक सक्षम शासकीय ढांचे में लोगों की भागीदारी हो सके।
  • रियो उदघोषणा से जुड़ी नीतियों का एक सहायक दस्तावेज है-एजेंडा २१,ब्लूप्रिंट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट। इसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति, समूह या संगठन की पहुंच पर्यावरण और विकास से जुड़ी वैसी सूचनाओं तक होनी चाहिए जो सरकारी अधिकारियों या संगठनों के पास हैं। इन जानकारियों में वैसी उन उत्पादों और गतिविधियों की सूचनाएं भी शामिल हैं जिनका असर पर्यावरण पर पड़ सकता है अथवा सूचना को छुपाने के लिए किया जा सकता है।
  • अनेक देशों मे सूचना के अधिकार के संबंध में कानून हैं। इन्हें रियो घोषणा के अनुच्छेद १० में अंशतः या पूर्णतः संहिताबद्ध किया गया है।
  • साल १९९८ में रियो घोषणा और एजेंडा़ २१ के अनुपालन में संयुक्त राष्ट्रसंघ के योरोपीय आर्थिक आयोग(यूएनईसीई) के सदस्य देशों और योरोपीय संघ ने एक कानूनी रुप से बाध्यकारी संधि पर हस्ताक्षर किए। इस संधि में सूचना पाने की स्वतंत्रता, नीति-निर्धारण में जनता की भागीदारी और पर्यावरणीय मामलों में न्याय पाने की स्वतंत्रता के लिए हामी भरी गई है।
  • स्वीडेन में लागू फ्रीडम ऑव प्रेस एक्ट में विधान किया गया है कि अगर कोई नागरिक, नागरिक समूह अथवा संगठन मांग करे तो आधिकारिक दस्तावेजों में दर्ज सूचना सार्वजनिक करनी होगी।
  • कोलंबिया में सूचना के अधिकार से संबंधित कानूनों का इतिहास बड़ा पुराना है। कोलंबिया में एख कानून है कोड ऑव पॉलिटिकल एंड म्युनिस्पल आर्गनाइजेशन(१८८८)। इस कानून के अन्तर्गत नागरिकों को अधिकार दिया गया है कि वे सरकारी एजेंसियों अथवा सरकारी अभिलेखागार में सुरक्षित दस्तावेजों की जानकारी जरुरत पड़ने पर मांग सकें।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में साल १९६७ में सूचना के अधिकार से संबंधित एक कानून पारित हुआ। इसी राह पर आस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड में साल १९८२ में कानून बने।
  • एशिया में सबसे पहले सूचना के अधिकार को स्वीकार करने वाला देश फिलीपीन्स है। साल १९८७ में इस देश में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की आचार संहिता तैयार की गई और इसमें सूचना के अधिकार को मान्यता दी गई। हांगकांग में सूचना के अधिकार से संबंधित कानून १९९५ में बना जबकि थाईलैंड ऑफिशियल इन्फारमेशन एक्ट साल १९९७ के दिसंबर से अमल में आया। साल १९९८ में दक्षिण कोरिया में सूचना के अधिकार से संबंधित एक्ट ऑन डिस्क्लोजर ऑव इन्फारमेशन बाई पब्लिक एजेंसिज बना। जापान में सूचना के अधिकार से संबंधित कानून अप्रैल २००१ में बना।
  • अफ्रीकी देशों में सूचना के अधिकार को मान्यता देने वाला एकमात्र देश दक्षिण अफ्रीका है।
 
  
    भारत के सर्वोच्च न्यायलय में सूचना के अधिकार के तहत दिए गए महत्वपूर्ण फैसले

1. पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी और अन्य बनाम भारत सरकार और अन्य। साथ में लोकसत्ता और अन्य बनाम भारत सरकार 2003(001) SCW 2353 SC
2. भारत सरकार बनाम एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म एंड अनदर, साथ में पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी और अन्य बनाम भारत सरकार और अन्य 2002(005) SCC 0361SC
3. भारत सरकार और अन्य बनाम मोशन पिक्चर एसोसिएशन और अन्य  1999(006) SCC 0150 SC
4. दिनेश त्रिवेदी, एमपी, बनाम और अन्य बनाम  भारत सरकार और अन्य,  1997(004) SCC 0306SC
5.टाटा प्रेस लिमिटेड बनाम महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड और अन्य, 1995(005) SCC 0139 SC
6.सचिव,सूचना एवम् प्रसारण मंत्रालय,भारत सरकार और अन्य बनाम क्रिकेट एसोसिशन ऑव बंगाल और अन्य 1995(002) SCC 0161 SC
7. भारतीय जीवन बीमा निगम बनाम प्रोफेसर मनुभाई डी शाह, 1992 (003) SCC 0637 SC
8. रिलायंस पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड बनाम इंडियन एक्सप्रेस न्यूजपेपर, मुंबई के मालिकान, 1988 (004) SCC 0592 SC
9. शीला बारसे बनाम महाराष्ट्र सरकार , 1987 (004) SCC 0373 SC
10.इंडियन एक्सप्रेस न्यूज पेपरस्(मुबई) प्राइवेट लिमिडेट, और अन्य बनाम भारत सरकार और अन्य, 1985 (001) SCC 0641 SC
11. श्रीमती प्रभा दत्त बनाम भारत सरकार और अन्य , 1982 (001) SCC 0001 SC
12. उत्तरप्रेदश सरकार बनाम राजनारायण और अन्य , 1975 (004) SCC 0428 SC

अनिल अग्रवाल के फिर प्रेस काउंसिल मेंबर बनाए जाने पर हर्ष

अनिल अग्रवाल
अनिल अग्रवाल
अखबार जगत में अपने रचनात्‍मक एवं सक्रिय कार्यों से उल्‍लेखनीय भूमिका अदा करने वाले अनिल अग्रवाल को प्रेस परिषद का सदस्‍य बनाया गया है. अनिल दोबारा प्रेस परिषद के सदस्‍य बने हैं. वे अमरावती मंडल में मराठी दैनिक मा‍तृभूमि के संपादक और युवा पत्रकार हैं. उनका कार्यकाल तीन वर्षों का रहेगा. इस आशक की घोषणा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में की गई है.
नई प्रेस काउंसिल में अनिल अग्रवाल महाराष्‍ट्र से अकेले पत्रकार हैं. पिछले तीन सालों में इनके द्वारा विभिन्‍न पदों पर रहकर किए गए रचनात्‍मक और ठोस कार्यों को देखते हुए मंत्रालय ने दोबारा प्रेस परिषद के सदस्‍य के रूप में नियुक्ति की है.  अनिल अग्रवाल पेड न्‍यूज के संदर्भ में गठित कमेटी में उल्‍लेखनीय कार्य किए हैं.  अनिल अग्रवाल को प्रेस काउंसिल का सदस्‍य बनाए जाने पर उनको जानने वाले तथा शुभचिंतकों ने उन्‍हें बधाई दी है.

भाटिया फर्जी इंडियन प्रेस काउंसिल के प्रांतीय उपाध्यक्ष

इन्दौर
बुरहानपुर म.प्र. ही नहीं वरन पूरे भारत वर्ष में पत्रकारों के हितों के लिए बरसों से संघर्षरत अग्रणी संस्था इंडियन प्रेस कांउसिल (जो कि अब नए नाम इंडियन प्रेस काउंसिल, रन बाय इंटलएक्चुअल प्रेस कांउसिल के नाम से जानी जाती है) अपने म.प्र. के संगठन के पुन: गठन में बुरहानपुर के पत्रकार गुरदीप सिंह भाटिया को संस्था के प्रांतीय उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया है। गुरदीप भाटिया प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ-साथ इंदौर संभाग के प्रभारी भी होंगे। प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि इंडियन प्रेस काउंसिल सफलता पूर्वक सभी जगह पर अपना कार्य सुचारू रूप से चलाते हुए पत्रकारों के हितों के लिए आवाज उठाती रहती है। संस्था समयं-समय पर पत्रकारों के लिए सेमिनार, शिक्षा के लिए व अन्य कई सामाजिक मुद्दों पर कार्य करती रहती है। उनकी इस नियुक्ति पर पत्रकार साथी सुरेश तुल्सानी, गोपाल देवकर, दुर्गेश शर्मा, मुकेश पूर्वे, लियाकत खान, अनूप यादव, दिनेश जुनागडे, निलेश जुनागडे, संतोष जायसवाल ने बधाई दी। 

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भोपाल में इंडियन प्रेस कांउसिल के नाम से फर्जी संस्था चला रहा प्रकाश सक्सेना

भोपाल में फर्जी संस्था चल रहे संचालक की तलाश
कलिता रानी को भोपाल लाई पुलिस
अंडरवल्र्ड से संबंधों के आरोप में पकड़ी गई कलिता रानी शाह ने फर्जी नामों से 40 मोबाइल खरीदने की बात स्वीकारी है। वह तीन दिन के पुलिस रिमांड पर है। उसे डब्ल्यूएलएल फोन उपलब्ध कराने के मामलें में मोबाइल कंपनी के एजेंट की तलाश की जा रही है।
इंदौर में स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा पकड़ी गई 24 वर्षीय युवती का कहना है कि भोपाल में इंडियन प्रेस कांउसिल के नाम से फर्जी संस्था चला रहे प्रकाश सक्सेना के कारण अंडरवल्र्ड के लोगों से जुड़ गई। पुलिस प्रकाश सक्सेना की तलाश कर रही है। रविवार की सुबह कलिता रानी को भोपाल लाया गया। उससे पुलिस की क्राइम ब्रांच पूछताछ कर रही है। उसने पुलिस को बताया कि पीरगेट पर रहने वाले शानू नामक युवक से उसकी दोस्ती हुई थी। शानू सिम कार्ड और इंफो मोबाइल बेचता है। शानू ने ही फर्जी नाम से मोबाइल उपलब्ध कराए और उसने पांच सौ रूपये के मोबाइल को डेढ़ हजार रूपए तक में बेचा। शानू अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर है। कलिता एमपी नगर स्थित इंडियन प्रेस काउंसिल में काम करती थी। उसने पुलिस को बताया कि इसके संचालक प्रकाश सक्सेना लोगों से पांच सौ रूपये लेकर प्रेस कार्ड बनाते थे। यह कार्ड बनवाने के लिए ही इंदौर का कपिल तिवारी उनके दफ्तर आया और कलिता का उससे संपर्क हो गया। कलिता ने कपिल को भी 8 मोबाइल फोन उपलब्ध करा दिए। कपिल छोटा दाऊद गिरोह से जुड़ा है। कलिता के अनुसार उसे सिहस्थ में पास बनवाते वक्त पता चल गया था कि प्रेस कांउसिल नामक संस्था गलत है। क्राइम ब्रांच के डीएसपी शशिकांत शुक्ला ने बताया कि प्रकाश सक्सेना की तलाश की जा रही है। कलिता से मोबाइल खरीदने वालों की भी तलाश की जा रही है। बैरागढ़ निवासी जावेद कुरैशी को नामक युवक को भी हिरासत में लिया है।
सीटीओ में रहती है कलिता
एसटीएफ द्वारा पकड़ी गई कलिता रानी शाहा का घर सीटीओ कालोनी में है। शनिवार को इंदौर में पुलिस ने प्रेस को जानकारी दी थी। कि वह सीटीओ अयप्पा मंदिर थ्री ईएएमई सेंटर के पास रहती थी। इधर थ्री ईएमई सेंटरविजय सिंह के अनुसार सीटीओ अयप्पा मंदिर थ्री ईएमई परिसर में नहीं है।

Indian Press Council is run by fake light Prakash Saxena

Bhopal in the name of the  
Indian Press Council
is run by fake light Prakash Saxena

 Ongoing operations in Bhopal seek bogus institution

Police brought the Bhopal Rani Kalita. 

Kalita was arrested on charges of ties to Andervlrd Queen Shah has admitted to buying mobile to 40 aliases.  He is a three-day police remand. In the case of WLL phones to provide mobile company is looking for agents.

24-year-old woman was arrested by Special Task Force in Indore that in Bhopal in the name of Indian Press Council are run by fake Andervlrd of light Saxena joined the people.  Police are looking for light Saxena. Sunday morning brought Bhopal Rani Kalita. Crime Branch police were questioning him.  He told police that his friendship with a man called Pirget Sanu was living on. Sanu sells mobile SIM card and Info. Sanu by the aliases provided by the mobile and five hundred she sold the mobile to a half rupees.  Sanu is now out of police custody. MP Nagar Kalita worked in the Indian Press Council. 

He told police that five hundred people from the operational light Sax used to press card. The card for the creation of the Indore Kapil Tiwari came to his office and connected it to Kalita. Kalita Kapil made available to the 8 mobile phones.  Kapil is associated with shorter the Dawood gang.  Kalita an extension of the time it was known Sihsth the institution of the Press Council is wrong.  DSP Shashikant Shukla said the crime branch is looking for light sax.  Kalita being mobile is looking for buyers. Bairagarh resident Javed Qureshi, a young man taken into custody.
Kalita lives in CTO
Kalita Rani Shaha captured by forces in the home of the CTO Colony.  Indore police had briefed the press on Saturday. CTO Ayyappa temple that he lived near Three Iami Center. Three over Three EME EME Ayyappa temple complex Sentrvijay Singh is the CTO.
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 Kapil was arrested in love Kalita

Used to power mobile bills, Postmen's Gang. Shaha was arrested on charges of ties to Andervlrd Klitarani Postmen including the gang. They did provide the electric bill. The bills used to purchase mobile phones based on the gang. Such capital is stated to be three of the gang. Kalita was arrested on May 8 from Indore Andervlrd from queen to his relationship with Shaha Dev Tiwari is on a standstill. Kapil fraudulently buying the mobile is in the Bhopal jail. It was made available by mobile Kalita. On Tuesday, Magistrate VK Dubey Kalita was presented to the court. The court has three days' police remand. Kalita said the Crime Branch officials for the past eight months, the mobile has been selling fake names. In this work, a WLL mobile company Agent Sanu Khan used to help her. Pirget resident Jamshed Sanu and his friends arrested by the police today. Jamshed's Hmidia road mobile shop. Sanu shocking information from the interrogation that the gang includes a Postmen. Postmen were they take the electric bill. Ilektaranik Taipraitr the help of these bills would change the name. The bill by the company they bought a mobile. Sanu said that three such gangs are active in the city.
Kapil is the love of Kalita

Kapil Tiwari jailed four months ago has turned into love meeting Kalita Rani Shaha. Klitab Kapil says that he wanted to marry. Four months ago, Kapil Dev on his way met the fake Indian press council was in office.  Kapil Kalita a month ago, decided to marry. But the anger of Kapil deferred marriage because of the habit.

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The Queen lives in Bhopal Andervlrd
 
Arrested in Indore, criminals booked 22 cell phones
 
Attached to a vicious young woman living in the capital and Andervlrd the Special Task Force (STF) today arrested from Indore's Hotel sir. It names 22 companies and fake mobile phone connections were made available to the Andervlrd and other criminals. His two colleagues were arrested by police in Bhopal pool. The 24-year-old girl Gorgopal Shaha father's name is Rani Kalita. Enter the room at the police station was run in the fraud case. He originally New Cooch Behar Kolkata, and Bhopal 9/1/1 CTO Ayyappa temple 3, lived in EME Centre. Kohefija it is a flat. He also says his name is Priyanka and Kalikti. Rani Kalita alias Munna notorious criminals of the last days Andervlrd Nyabuddin Pakdhaa in Indore, Ujjain Kapil Tiwari and Ali Gulrej relationship roguish crook. Initial inquiries revealed that he and other criminals for their fake names for the same number of mobile connections so information is also helpful in informing. Kothari Market Indore she was waiting in the hotel, sir. She tells the reporter, sometimes a bank employee. The four cards, telephone diary and a mobile phone were also seized. One of these cards the Indian Press Council "(20 -1 MP Nagar Bhopal Zone, bhopal.m.p.) is the card. A Preskard Sinhsth Joint Director for Public Relations Ujjain Ujjain SP and was released by the 'Tudej Indian' journal depicts the Bureau Chief position. This journal is published from Bhopal. Religious places in management. Pradesh.  Shsciv in the post by just a letter of introduction he had built, while another card Sinhsth systems committee (formed by the shrine management committee) has to be its administrator. Sub-inspector of crime branch Rakesh Shukla, Bhopal, said the two reportedly accused the mobile connection pool on Saturday to help the team of crime branch police arrested in Indore. The accused father Solt Adblu Khan (25 years) resident -3 401, Bharat Nagar, Bhopal Manasa Apartments, Gulmohar Society, whose shop is at stop number six.  The second accused, Sachin's father Vinod Kumar Jain (20 years) resident seer is Bhopal. Wahid Khan and Lakeview in Bhopal Akworiam young woman by the name of fake papers of which eight were for mobile connections had a Kapil Tiwari. Sachin for his two mobile phones have been confiscated and who were near Solt.

Sinhsth coverage was for: Sinhsth interrogation revealed that the press 'coverage' was the name. And the last was April 30, Indore. He went to Delhi last week. There is a reason for the police to find out.
The card used to make a half thousand: Kalita Rani Indian Press Council to the letter of introduction from a half people - used to charge a half rupees. Today's Indian magazine is published by the institution. The office is in Bhopal and Indore. Kalita has done both, according to Queen. He says Kapil Tiwari was in relation to his contact card.

Mum on the case of fraud: Kalita queen mother Queen cascade is accused of fraud cases recorded in Gandhi Nagar Post. He recognized her at school without the 5 th grade children were Brwaan form.  Her father, Lt Col (Retd) are. Queen J Kalita-born father in the Army to complete his studies at Central School. Kalita Queen MSc (Botany) is.
The Queen came round to hear the name of the prison Andervlrd


Forged documents, was arrested on charges of misappropriation of mobile phones Kalita Queen's Police are searching for mates.  Kalita fraudulent manner in terms of ongoing operations of Indian Press Council at large. Listen to the court of the prison fell Pdui Kalita stands. The Special Task Force Klitarani Shaha bairagarh CTO resident was arrested on May 8, Indore. He was on the five-day police remand. He was in court this afternoon Sijim. It was ordered to send him to jail. As soon as the warrant of his prison, he fainted. Cita a female soldier and watered the water on his face woke him.Kalita was later sent to jail.

Wednesday, July 6, 2011

भोपाल में इंडियन प्रेस कांउसिल के नाम से फर्जी संस्था चला रहा प्रकाश सक्सेना

भोपाल में फर्जी संस्था चल रहे संचालक की तलाश
कलिता रानी को भोपाल लाई पुलिस
अंडरवल्र्ड से संबंधों के आरोप में पकड़ी गई कलिता रानी शाह ने फर्जी नामों से 40 मोबाइल खरीदने की बात स्वीकारी है। वह तीन दिन के पुलिस रिमांड पर है। उसे डब्ल्यूएलएल फोन उपलब्ध कराने के मामलें में मोबाइल कंपनी के एजेंट की तलाश की जा रही है।
इंदौर में स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा पकड़ी गई 24 वर्षीय युवती का कहना है कि भोपाल में इंडियन प्रेस कांउसिल के नाम से फर्जी संस्था चला रहे प्रकाश सक्सेना के कारण अंडरवल्र्ड के लोगों से जुड़ गई। पुलिस प्रकाश सक्सेना की तलाश कर रही है। रविवार की सुबह कलिता रानी को भोपाल लाया गया। उससे पुलिस की क्राइम ब्रांच पूछताछ कर रही है। उसने पुलिस को बताया कि पीरगेट पर रहने वाले शानू नामक युवक से उसकी दोस्ती हुई थी। शानू सिम कार्ड और इंफो मोबाइल बेचता है। शानू ने ही फर्जी नाम से मोबाइल उपलब्ध कराए और उसने पांच सौ रूपये के मोबाइल को डेढ़ हजार रूपए तक में बेचा। शानू अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर है। कलिता एमपी नगर स्थित इंडियन प्रेस काउंसिल में काम करती थी। उसने पुलिस को बताया कि इसके संचालक प्रकाश सक्सेना लोगों से पांच सौ रूपये लेकर प्रेस कार्ड बनाते थे। यह कार्ड बनवाने के लिए ही इंदौर का कपिल तिवारी उनके दफ्तर आया और कलिता का उससे संपर्क हो गया। कलिता ने कपिल को भी 8 मोबाइल फोन उपलब्ध करा दिए। कपिल छोटा दाऊद गिरोह से जुड़ा है। कलिता के अनुसार उसे सिहस्थ में पास बनवाते वक्त पता चल गया था कि प्रेस कांउसिल नामक संस्था गलत है। क्राइम ब्रांच के डीएसपी शशिकांत शुक्ला ने बताया कि प्रकाश सक्सेना की तलाश की जा रही है। कलिता से मोबाइल खरीदने वालों की भी तलाश की जा रही है। बैरागढ़ निवासी जावेद कुरैशी को नामक युवक को भी हिरासत में लिया है।
सीटीओ में रहती है कलिता
एसटीएफ द्वारा पकड़ी गई कलिता रानी शाहा का घर सीटीओ कालोनी में है। शनिवार को इंदौर में पुलिस ने प्रेस को जानकारी दी थी। कि वह सीटीओ अयप्पा मंदिर थ्री ईएएमई सेंटर के पास रहती थी। इधर थ्री ईएमई सेंटरविजय सिंह के अनुसार सीटीओ अयप्पा मंदिर थ्री ईएमई परिसर में नहीं है।
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कपिल के प्रेम में गिरफ्तार थी कलिता
बिजली के बिलों से लेते थे मोबाइल, पोस्टमेन भी है गिरोह
अंडरवल्र्ड से संबंधों के आरोप में पकड़ी गई कलितारानी शाहा के गिरोह में पोस्टमेन भी शामिल है। जो उन्हें बिजली के बिल उपलब्ध कराता था। इन बिलों के आधार पर गिरोह मोबाइल फोन खरीदता था। राजधानी में इस तरह के तीन गिरोह होने की जानकारी मिली है। 8 मई को इंदौर से पकड़ी गई कलिता रानी शाहा से अंडरवल्र्ड से संबंधों की बात कपिल तिवारी पर आकर रूक जाती है। कपिल फर्जी तरीके से मोबाइल खरीदने के मामले में भोपाल जेल में बंद है। यह मोबाइल कलिता ने ही उसे उपलब्ध कराया था। मंगलवार को सीजेएम वीके दुबे की अदालत में कलिता को पेश किया गया। अदालत ने तीन दिन का पुलिस रिमांड दिया है। कलिता ने क्राइम ब्रांच के अफसरों को बताया कि वह पिछले आठ महीनों से फर्जी नामों से लिए गए मोबाइल बेचती रही है। इस काम में एक डब्ल्यूएलएल मोबाइल कंपनी का एजेंट शानू खान उसकी मदद करता था। पीरगेट निवासी शानू और उसके दोस्त जमशेद को पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया। जमशेद की हमीदिया रोड पर मोबाइल की दुकान है। शानू से हुई पूछताछ में चौकाने वाली जानकारी यह है कि इस गिरोह में एक पोस्टमेन भी शामिल है। यह लोग पोस्टमेन से बिजली के बिल ले लेते थे। फिर इलेक्टा्रनिक टाईपराइटर की मदद से इन बिलों पर नाम बदल देते थे। ये बिल कंपनी में लगाकर यह लोग एक साथ मोबाइल खरीदते थे। शानू ने जानकारी दी है कि शहर में इस तरह के तीन गिरोह सक्रिय हैं।
कपिल से इश्क है कलिता को

जेल में बंद कपिल तिवारी से चार महीने पहले हुई  कलिता रानी शाहा की मुलाकात इश्क में बदल गई है। कलिताब का कहना है कि वह कपिल से शादी करना चाहती थी। चार महीने पहले कपिल से उसकी मुलाकात फर्जी तरीके से चल रही इंडियन प्रेस कौंसिल के दफ्तर में हुई थी। कलिता ने एक महीने पहले ही कपिल से शादी करने का मन बना लिया था। लेकिन कपिल की गुस्सा करने की आदत के कारण शादी टल गई।
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भोपाल में रहती थी अंडरवल्र्ड की रानी      
 इंदौर में गिरफ्तार, अपराधियों को दिलवाए 22 सेल फोन
राजधानी में रहने वाली और अंडरवल्र्ड से जुड़ी एक शातिर युवती ने स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने आज इंदौर की होटल श्रीमान से गिरफ्तार कर लिया। इसने कंपनियों और अन्य फर्जी नामों से 22 मोबाइल फोन कनेक्शन लेकर अंडरवल्र्ड और अन्य अपराधियों को उपलब्ध कराए थे। उसके दो साथियों को भोपाल की तलैया पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस 24 वर्षीय युवती का नाम कलिता रानी पिता गोरगोपाल शाहा है। वह तलैया पुलिस थाना में दर्ज धोखाधड़ी प्रकरण में फरार थी। वह मूलत: न्यू कूच बिहार कोलकता की है, और भोपाल में 9/1/1 सीटीओ अयप्पा मंदिर के पास 3, ईएमई सेंटर में रहती थी। उसका कोहेफिजा में एक फ्लेट भी है। वह अपने नाम प्रियंका व कालीकती भी बताती रही है। कलिता रानी पिछले दिनों इंदौर में पकड़ाए अंडरवल्र्ड के कुख्यात अपराधी मुन्ना उर्फ नयाबुद्दीन, कपिल तिवारी तथा उज्जैन के शातिर बदमाश गुलरेज अली से संबंध है। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि उसने इनके सहित अन्य अपराधियों के लिए फर्जी नामों से मोबाइल कनेक्शन तो लिए ही कई जानकारियों भी इन तक पहुंचाने में मददगार रही। वह इंदौर के कोठारी मार्केट क्षेत्र में होटल श्रीमान में ठहरती थी। वह स्वयं को पत्रकार तो कभी बैंक कर्मचारी बताती है। उसके पास चार कार्ड, टेलीफोन डायरी और एक मोबाइल फोन भी जब्त किया गया है। इन कार्डो में से एक ‘इंडियन प्रेस काउंसिल’ (20 जोन-1 एमपी नगर भोपाल) का परिचय पत्र है। एक प्रेसकार्ड सिंहस्थ के लिए उज्जैन एसपी व संयुक्त संचालक जन संपर्क उज्जैन द्वारा जारी किया निकला, जिसमें ‘टुडेज इंडियन’ नामक पत्रिका उसका ब्यूरो चीफ पद दर्शाया गया है। यह पत्रिका भोपाल से प्रकाशित होती है। धार्मिक स्थल प्रबंधन समिति म.प्र. में सहसचिव का पद बताकर भी उसने एक परिचय पत्र बनवा रखा था, जबकि एक अन्य कार्ड सिंहस्थ व्यवस्था समिति (धार्मिक स्थल प्रबंधन समिति द्वारा गठित) में उसके व्यवस्थापक होने का है। भोपाल की क्राइम ब्रांच के सब इंस्पेक्टर राकेश शुक्ला ने बताया कि उसे मोबाइल कनेक्शन देने वाले दो कथित आरोपियों को भी शनिवार को तलैया पुलिस ने इंदौर अपराध शाखा की टीम की मदद से गिरफ्तार कर लिया। यह आरोपी सोलत पिता एडब्ल्यू खान (25 वर्ष) निवासी-3 401, मनासा अपार्टमेंट गुलमोहर सोसायटी भरत नगर भोपाल जिनकी दुकान छह नंबर स्टाप  पर है। दूसरा आरोपी सचिन पिता विनोद कुमार जैन (20 वर्ष) निवासी शंकराचार्य भोपाल है। भोपाल में युवती ने वाहिद खान और लेकव्यू एक्वोरियम नाम से फर्जी कागजात देकर आठ मोबाइल कनेक्शन लिए थे जिनमें से एक कपिल तिवारी को दिया था। उसके द्वारा लिए गए दो मोबाइल फोन सचिन और सोलत के पास थे जो जब्त कर लिए गए है।

सिंहस्थ में कवरेज के लिए भी गई थी: पुलिस की पूछताछ में पता चला कि वह सिंहस्थ में ‘प्रेस कवरेज’ के नाम पर गई थी। वह 12 से 18 अप्रैल तक उज्जैन में रही। और गत 30 अप्रैल को इंदौर आई थी। बीते सप्ताह वह दिल्ली भी गई थी। उसके वहां जाने की वजह का पुलिस पता लगा रही है।
डेढ़ हजार रूपये में परिचय पत्र बनाती थी: कलिता रानी इंडियन प्रेस काउंसिल के नाम से परिचय पत्र बनाने के लिए लोगों से डेढ़-डेढ़ हजार रूपए वसूलती थी। इसी संस्था द्वारा टूडेज इंडियन पत्रिका प्रकाशित की जाती हैं। इसका भोपाल और इंदौर में आफिस है। कलिता रानी के मुताबिक वह दोनों जगह काम कर चुकी है। उसका कहना है कि कपिल तिवारी से उसका संपर्क कार्ड बनाने के संबंध में ही हुआ था।

मां पर भी धोखाधड़ी का मामला: कलिता रानी की मां झरना रानी गांधी नगर चौकी में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में आरोपी है। उसने अपने स्कूल में बिना मान्यता के 5 बच्चों के दसवी कक्षा के फार्म भरवाएं थे। उसके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत) हैं। कलिता रानी जम्मू में जन्मी और पिता के आर्मी  में होने से उसकी पूरी पढ़ाई सेंट्रल स्कूल में हुई। वह अपने पिता की इकलौती संतान है। कलिता रानी एमएससी (बॉटनी) है।
अंडरवल्र्ड की रानी को जेल का नाम सुनकर चक्कर आया


फर्जी दस्तावेजों से मोबाइल फोनों की हेराफेरी करने के आरोप में पकड़ी गई कलिता रानी के साथियों की पुलिस तलाश कर रही है। कलिता के मामले में ही फर्जी तरीके से चल रही इंडियन प्रेस कौंसिल का संचालक फरार है। वहीं अदालत में जेल जाने की बात सुनते ही कलिता गश खाकर गिर पडुी। सीटीओ बैरागढ़ निवासी कलितारानी शाहा को स्पेशल टास्क फोर्स ने 8 मई को इंदौर में पकड़ा था। वह पिछले पांच दिन से पुलिस रिमांड पर थी। उसे आज दोपहर सीजीएम अदालत में पेश किया गया। यहां से उसे जेल भेजने के आदेश दिए गए। जैसे ही उसका जेल का वारंट बना तो उसे चक्कर आ गया। एक महिला सिपाही ने उसके चेहरे पर पानी छीटा और पानी पिलाया तो उसे होश आया। इसके बाद कलिता को जेल भेज दिया गया।

Intellectual Press Council

PRAKASH SAXENA

SECRETARY GENERAL

T-10, GOYAL NIKET, ZONE I, M.P. NAGAR
BHOPAL-462011

My Phone Numbers

Tel : +91755-3922566

Mobile : +91-9303128551


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प्रेस कांउसिल नामक संस्था गलत है

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भोपाल में इंडियन प्रेस कांउसिल के नाम से फर्जी संस्था चला रहा प्रकाश सक्सेना

 
भोपाल में फर्जी संस्था चल रहे संचालक की तलाश
कलिता रानी को भोपाल लाई पुलिस
अंडरवल्र्ड से संबंधों के आरोप में पकड़ी गई कलिता रानी शाह ने फर्जी नामों से 40 मोबाइल खरीदने की बात स्वीकारी है। वह तीन दिन के पुलिस रिमांड पर है। उसे डब्ल्यूएलएल फोन उपलब्ध कराने के मामलें में मोबाइल कंपनी के एजेंट की तलाश की जा रही है।
इंदौर में स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा पकड़ी गई 24 वर्षीय युवती का कहना है कि भोपाल में इंडियन प्रेस कांउसिल के नाम से फर्जी संस्था चला रहे प्रकाश सक्सेना के कारण अंडरवल्र्ड के लोगों से जुड़ गई। पुलिस प्रकाश सक्सेना की तलाश कर रही है। रविवार की सुबह कलिता रानी को भोपाल लाया गया। उससे पुलिस की क्राइम ब्रांच पूछताछ कर रही है। उसने पुलिस को बताया कि पीरगेट पर रहने वाले शानू नामक युवक से उसकी दोस्ती हुई थी। शानू सिम कार्ड और इंफो मोबाइल बेचता है। शानू ने ही फर्जी नाम से मोबाइल उपलब्ध कराए और उसने पांच सौ रूपये के मोबाइल को डेढ़ हजार रूपए तक में बेचा। शानू अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर है। कलिता एमपी नगर स्थित इंडियन प्रेस काउंसिल में काम करती थी। उसने पुलिस को बताया कि इसके संचालक प्रकाश सक्सेना लोगों से पांच सौ रूपये लेकर प्रेस कार्ड बनाते थे। यह कार्ड बनवाने के लिए ही इंदौर का कपिल तिवारी उनके दफ्तर आया और कलिता का उससे संपर्क हो गया। कलिता ने कपिल को भी 8 मोबाइल फोन उपलब्ध करा दिए। कपिल छोटा दाऊद गिरोह से जुड़ा है। कलिता के अनुसार उसे सिहस्थ में पास बनवाते वक्त पता चल गया था कि प्रेस कांउसिल नामक संस्था गलत है। क्राइम ब्रांच के डीएसपी शशिकांत शुक्ला ने बताया कि प्रकाश सक्सेना की तलाश की जा रही है। कलिता से मोबाइल खरीदने वालों की भी तलाश की जा रही है। बैरागढ़ निवासी जावेद कुरैशी को नामक युवक को भी हिरासत में लिया है।
सीटीओ में रहती है कलिता
एसटीएफ द्वारा पकड़ी गई कलिता रानी शाहा का घर सीटीओ कालोनी में है। शनिवार को इंदौर में पुलिस ने प्रेस को जानकारी दी थी। कि वह सीटीओ अयप्पा मंदिर थ्री ईएएमई सेंटर के पास रहती थी। इधर थ्री ईएमई सेंटरविजय सिंह के अनुसार सीटीओ अयप्पा मंदिर थ्री ईएमई परिसर में नहीं है।
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कपिल के प्रेम में गिरफ्तार थी कलिता
बिजली के बिलों से लेते थे मोबाइल, पोस्टमेन भी है गिरोह
अंडरवल्र्ड से संबंधों के आरोप में पकड़ी गई कलितारानी शाहा के गिरोह में पोस्टमेन भी शामिल है। जो उन्हें बिजली के बिल उपलब्ध कराता था। इन बिलों के आधार पर गिरोह मोबाइल फोन खरीदता था। राजधानी में इस तरह के तीन गिरोह होने की जानकारी मिली है। 8 मई को इंदौर से पकड़ी गई कलिता रानी शाहा से अंडरवल्र्ड से संबंधों की बात कपिल तिवारी पर आकर रूक जाती है। कपिल फर्जी तरीके से मोबाइल खरीदने के मामले में भोपाल जेल में बंद है। यह मोबाइल कलिता ने ही उसे उपलब्ध कराया था। मंगलवार को सीजेएम वीके दुबे की अदालत में कलिता को पेश किया गया। अदालत ने तीन दिन का पुलिस रिमांड दिया है। कलिता ने क्राइम ब्रांच के अफसरों को बताया कि वह पिछले आठ महीनों से फर्जी नामों से लिए गए मोबाइल बेचती रही है। इस काम में एक डब्ल्यूएलएल मोबाइल कंपनी का एजेंट शानू खान उसकी मदद करता था। पीरगेट निवासी शानू और उसके दोस्त जमशेद को पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया। जमशेद की हमीदिया रोड पर मोबाइल की दुकान है। शानू से हुई पूछताछ में चौकाने वाली जानकारी यह है कि इस गिरोह में एक पोस्टमेन भी शामिल है। यह लोग पोस्टमेन से बिजली के बिल ले लेते थे। फिर इलेक्टा्रनिक टाईपराइटर की मदद से इन बिलों पर नाम बदल देते थे। ये बिल कंपनी में लगाकर यह लोग एक साथ मोबाइल खरीदते थे। शानू ने जानकारी दी है कि शहर में इस तरह के तीन गिरोह सक्रिय हैं।
कपिल से इश्क है कलिता को

जेल में बंद कपिल तिवारी से चार महीने पहले हुई  कलिता रानी शाहा की मुलाकात इश्क में बदल गई है। कलिताब का कहना है कि वह कपिल से शादी करना चाहती थी। चार महीने पहले कपिल से उसकी मुलाकात फर्जी तरीके से चल रही इंडियन प्रेस कौंसिल के दफ्तर में हुई थी। कलिता ने एक महीने पहले ही कपिल से शादी करने का मन बना लिया था। लेकिन कपिल की गुस्सा करने की आदत के कारण शादी टल गई।
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भोपाल में रहती थी अंडरवल्र्ड की रानी      
 इंदौर में गिरफ्तार, अपराधियों को दिलवाए 22 सेल फोन
राजधानी में रहने वाली और अंडरवल्र्ड से जुड़ी एक शातिर युवती ने स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने आज इंदौर की होटल श्रीमान से गिरफ्तार कर लिया। इसने कंपनियों और अन्य फर्जी नामों से 22मोबाइल फोन कनेक्शन लेकर अंडरवल्र्ड और अन्य अपराधियों को उपलब्ध कराए थे। उसके दो साथियों को भोपाल की तलैया पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस 24 वर्षीय युवती का नाम कलिता रानी पिता गोरगोपाल शाहा है। वह तलैया पुलिस थाना में दर्ज धोखाधड़ी प्रकरण में फरार थी। वह मूलत: न्यू कूच बिहार कोलकता की है, और भोपाल में 9/1/1 सीटीओ अयप्पा मंदिर के पास 3, ईएमई सेंटर में रहती थी। उसका कोहेफिजा में एक फ्लेट भी है। वह अपने नाम प्रियंका व कालीकती भी बताती रही है। कलिता रानी पिछले दिनों इंदौर में पकड़ाए अंडरवल्र्ड के कुख्यात अपराधी मुन्ना उर्फ नयाबुद्दीन, कपिल तिवारी तथा उज्जैन के शातिर बदमाश गुलरेज अली से संबंध है। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि उसने इनके सहित अन्य अपराधियों के लिए फर्जी नामों से मोबाइल कनेक्शन तो लिए ही कई जानकारियों भी इन तक पहुंचाने में मददगार रही। वह इंदौर के कोठारी मार्केट क्षेत्र में होटल श्रीमान में ठहरती थी। वह स्वयं को पत्रकार तो कभी बैंक कर्मचारी बताती है। उसके पास चार कार्ड, टेलीफोन डायरी और एक मोबाइल फोन भी जब्त किया गया है। इन कार्डो में से एक ‘इंडियन प्रेस काउंसिल’ (20 जोन-1 एमपी नगर भोपाल) का परिचय पत्र है। एक प्रेसकार्ड सिंहस्थ के लिए उज्जैन एसपी व संयुक्त संचालक जन संपर्क उज्जैन द्वारा जारी किया निकला, जिसमें ‘टुडेज इंडियन’ नामक पत्रिका उसका ब्यूरो चीफ पद दर्शाया गया है। यह पत्रिका भोपाल से प्रकाशित होती है। धार्मिक स्थल प्रबंधन समिति म.प्र. में सहसचिव का पद बताकर भी उसने एक परिचय पत्र बनवा रखा था, जबकि एक अन्य कार्ड सिंहस्थ व्यवस्था समिति (धार्मिक स्थल प्रबंधन समिति द्वारा गठित) में उसके व्यवस्थापक होने का है। भोपाल की क्राइम ब्रांच के सब इंस्पेक्टर राकेश शुक्ला ने बताया कि उसे मोबाइल कनेक्शन देने वाले दो कथित आरोपियों को भी शनिवार को तलैया पुलिस ने इंदौर अपराध शाखा की टीम की मदद से गिरफ्तार कर लिया। यह आरोपी सोलत पिता एडब्ल्यू खान (25 वर्ष) निवासी-3 401, मनासा अपार्टमेंट गुलमोहर सोसायटी भरत नगर भोपाल जिनकी दुकान छह नंबर स्टाप  पर है। दूसरा आरोपी सचिन पिता विनोद कुमार जैन (20 वर्ष) निवासी शंकराचार्य भोपाल है। भोपाल में युवती ने वाहिद खान और लेकव्यू एक्वोरियम नाम से फर्जी कागजात देकर आठ मोबाइल कनेक्शन लिए थे जिनमें से एक कपिल तिवारी को दिया था। उसके द्वारा लिए गए दो मोबाइल फोन सचिन और सोलत के पास थे जो जब्त कर लिए गए है।

सिंहस्थ में कवरेज के लिए भी गई थी: पुलिस की पूछताछ में पता चला कि वह सिंहस्थ में ‘प्रेस कवरेज’ के नाम पर गई थी। वह 12 से 18 अप्रैल तक उज्जैन में रही। और गत 30 अप्रैल को इंदौर आई थी। बीते सप्ताह वह दिल्ली भी गई थी। उसके वहां जाने की वजह का पुलिस पता लगा रही है।
डेढ़ हजार रूपये में परिचय पत्र बनाती थी: कलिता रानी इंडियन प्रेस काउंसिल के नाम से परिचय पत्र बनाने के लिए लोगों से डेढ़-डेढ़ हजार रूपए वसूलती थी। इसी संस्था द्वारा टूडेज इंडियन पत्रिका प्रकाशित की जाती हैं। इसका भोपाल और इंदौर में आफिस है। कलिता रानी के मुताबिक वह दोनों जगह काम कर चुकी है। उसका कहना है कि कपिल तिवारी से उसका संपर्क कार्ड बनाने के संबंध में ही हुआ था।

मां पर भी धोखाधड़ी का मामला: कलिता रानी की मां झरना रानी गांधी नगर चौकी में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में आरोपी है। उसने अपने स्कूल में बिना मान्यता के 5 बच्चों के दसवी कक्षा के फार्म भरवाएं थे। उसके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत) हैं। कलिता रानी जम्मू में जन्मी और पिता के आर्मी  में होने से उसकी पूरी पढ़ाई सेंट्रल स्कूल में हुई। वह अपने पिता की इकलौती संतान है। कलिता रानी एमएससी (बॉटनी) है।
अंडरवल्र्ड की रानी को जेल का नाम सुनकर चक्कर आया


 
फर्जी दस्तावेजों से मोबाइल फोनों की हेराफेरी करने के आरोप में पकड़ी गई कलिता रानी के साथियों की पुलिस तलाश कर रही है। कलिता के मामले में ही फर्जी तरीके से चल रही इंडियन प्रेस कौंसिल का संचालक फरार है। वहीं अदालत में जेल जाने की बात सुनते ही कलिता गश खाकर गिर पडुी। सीटीओ बैरागढ़ निवासी कलितारानी शाहा को स्पेशल टास्क फोर्स ने 8 मई को इंदौर में पकड़ा था। वह पिछले पांच दिन से पुलिस रिमांड पर थी। उसे आज दोपहर सीजीएम अदालत में पेश किया गया। यहां से उसे जेल भेजने के आदेश दिए गए। जैसे ही उसका जेल का वारंट बना तो उसे चक्कर आ गया। एक महिला सिपाही ने उसके चेहरे पर पानी छीटा और पानी पिलाया तो उसे होश आया। इसके बाद कलिता को जेल भेज दिया गया।